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गंभीर वायु और जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार जहर उगलती फैक्टियां

आखिर गंभीर वायु और जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार इन फैक्टियों की तरफ से स्थानीय पार्षद, नगर निगम व जिलाधिकारी आंखें क्यों मूंदे रहे यमुनापार के मौजपुर गांव में चल रही 100 से अधिक अवैध फैक्टियों के कारण यहां लोगों का गंभीर रूप से बीमार होना चिंताजनक है। वर्षो से चल रही इन अवैध फैक्टियों के बारे में न तो स्थानीय पार्षद को जानकारी है और न जिलाधिकारी को। इस गांव में लोग सांस की बीमारियों से पीड़ित हैं या किडनी के रोगों से। दुर्भाग्यपूर्ण यह भी है कि गंभीर वायु व जल प्रदूषण के कारण यहां कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। इसकी वजह यहां चलने वाली जींस व चूड़ी रंगाई की इकाइयां, नेल पॉलिश और तेजाब की फैक्टियां हैं। इनसे निकलने वाला दूषित पानी भूजल में मिलकर उसे जहरीला बना रहा है और प्रशासन आंखें मूंदे हुए है।1सवाल यह है कि इतने बड़े पैमाने पर चलाई जा रही अवैध फैक्टियों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? वायु और जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार इन फैक्टियों की तरफ से स्थानीय पार्षद, नगर निगम और जिलाधिकारी आंखें क्यों मूंदे रहे? इस मामले को भ्रष्टाचार के पहलू से भी देखा जाना चाहिए। इन फैक्टियों को

अत्यावश्यक-बनाम-महत्वपूर्ण काम : महत्वपूर्ण काम रोकना प्रगति में निराशा

अत्यावश्यक-बनाम-महत्वपूर्ण काम आपके पास हमेशा छोटे लेकिन अत्यावश्यक काम रहेंगे, लेकिन दिन के अंत में आप अपने सबसे महत्वपूर्ण काम में पर्याप्त प्रगति न कर पाने पर निराशा भी महसूस करेंगे। आपकी टीम के हर सदस्य को दिनभर में कई बार अत्यावश्यक और महत्वपूर्ण कामों के बीच निर्णय लेने की जरूरत होती है। जैसे, कोई आपकी टीम के किसी सदस्य को फोन करके याद दिलाता है कि उसने कल एक जानकारी के लिए फोन किया था और उसे वह जानकारी जल्दी चाहिए। आपकी टीम का सदस्य अत्यावश्यकता महसूस करता है। वह मदद तो करना चाहता है, लेकिन उसे आग्रह पूरा करने में मुश्किल आ रही है। टीम का सदस्य जानकारी खोजने का समय निकालने की कोशिश करता है, लेकिन जब आग्रह के फोन बार-बार आते हैं तो अपने महत्वपूर्ण काम को रोक देता है और आवश्यक जानकारी एकत्रित करने में समय बरबाद करता है। समय एक ऐसे काम में खर्च हो गया जिसका टीम की जिम्मेदारियों से कोई लेना-देना नहीं था। सहकर्मियों की मदद करने की हमारी इच्छा सामने आने वाले अत्यावश्यक-बनाम-महत्वपूर्ण जाल का एक नमूना है। आपके पास हमेशा छोटे लेकिन अत्यावश्यक काम रहेंगे, लेकिन दिन के अंत में आप अप

एेतिहासिक लिंकन हाईवे पर फोटोग्राफर ने बवंडर को कैप्चर किया

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एेतिहासिक लिंकन हाईवे पर इस बवंडर को शॉट फोटोग्राफर जेम्स हैमेट ने कैप्चर किया है ।  कैमरे में कैद करना अासान नहीं था। ये गजब की फुर्ती और तेजी के साथ घास को चीरते हुए खुले खेतों की तरफ बढ़ता चला जा रहा था। 

समस्या : बढ़ता प्रदूषण मानो उम्र थम सी जाये।

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************************************************** बढ़ते प्रदूषण के कारण घट रही है पेड़ों की भी उम्र ************************************************** नई दिल्ली में तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण के कारण इंसान क्या, पेड़ों की उम्र व वृद्धि दर भी प्रभावित हो रही है। अधिक प्रदूषित इलाकों में पौधों को बड़ा होने में अधिक समय लग रहा है। राजधानी दिल्ली में यह चौंकाने वाला सच सामने आया है। पौधों के पनपने की दर में 15 फीसद तक की कमी आई है। हर साल होने वाले पौधरोपण में 65 फीसद तक पौधे जीवित नहीं बचते हैं।

अभिमन्यु की तरह लड़े कैप्टन अनुज नायर

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************************************************** कैप्टन अनुज नायर ************************************************** कारगिल युद्ध के दौरान उनका पहला अभियान था पॉइन्ट 4875 पर कब्ज़ा करना। टीम में सात सैनिको के साथ मिलकर पाकिस्तानी सैनिको को मार गिराया।  कैप्टन अनुज नायर को मरणोपरांत महावीर चक्र प्रदान किया।  ******************************************************************************* जन्म            : 28  अगस्त, 1975 दिल्ली  शहीद हुए    : 7 जुलाई, 1999 (24 वर्ष) यूनिट          : 17 जाट रेजीमेंट  *******************************************************************************

दुनिया में रेबीज का पहला टीका लगाया गया

रेबीज़ एक संक्रामक बीमारी है, जो मनुष्य सहित सभी प्रकार के गर्म खून वाले जीवों को प्रभावित कर सकती है। 1885 से पहले कुत्ते के काटने का इलाज नहीं था। 6 जुलाई को फ्रांसीसी वैज्ञानिक लुई पाश्चर द्वारा खोजे गए रेबीज के टीके को नौ साल के एक बच्चे को लगाया गया। जोसेफ मेस्टर नामक इस बच्चे को दो दिन पहले ही कुत्ते ने काटा था।

नाथूला दर्रा : भारत-चीन के बीच हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा

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नाथूला दर्रा हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है जो भारत के सिक्किम राज्य और दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है। यह 14 हजार 200 फीट की ऊंचाई पर है। भारत और चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध के बाद इसे बंद कर दिया गया था। इसे वापस जूलाई 5, 2006 को व्यापार के लिए खोल दिया गया है। 2006 में आज ही भारत-चीन सीमा पर बने ऐतिहासिक नाथूला दर्रा को 44 साल बाद व्यापार के लिए खोला गया। इस दर्रा से सिक्किम और तिब्बत के बीच कारोबार होता है। 1962 में चीन से हुए युद्ध के बाद सामरिक महत्व के इस रास्ते को बंद कर दिया गया था। ******************************************************************************* ऊँचाई : 4,310 मीटर  (14,140 फीट) चक्रमण : पुराने रेशम मार्ग की एक शाखा स्थिति स्थिति : भारत (सिक्किम) –चीन (तिब्बत स्वशासित प्रदेश) शृंखला : हिमालय निर्देशांक : 27.386448°N 88.831190°E *******************************************************************************